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अपने तो अपने होते हैं , अनंत सिंह और विवेका पहलवान फिर से हुए एक ।

आज जब अनंत सिंह खुद जेल मे हैं तो विवेका पहलवान जिस तरह से आपसी रंजिश भुला कर उनके लिए चुनाव प्रचार कर रहे है, उसे देखकर क्षेत्र की जनता तो यही कह रही है की कुछ भी हो जाये “अपने तो अपने होते हैं” ।

BLN– अपने तो अपने होते हैं । है तो यह एक बॉलीवुड की फिल्म का नाम लेकिन यह लाइन आजकल बिहार के दो बाहुबली जो अपनी आपसी दुश्मनी और रंजिश के लिए जाने जाते हैं उनपर बहुत सटीक बैठ रही है । मैं बात कर रहा हूँ मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह और बिहार केसरी विवेका पहलवान की ।

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काफी लंबे समय से इनकी दुश्मनी जगजाहिर है , दुश्मनी भी ऐसी की दोनों एक दूसरे का नाम तक सुनना पसंद नहीं करते थे , 2019 के लोकसभा चुनावों मे विवेका पहलवान ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मुंगेर लोकसभा सीट से चुनाव हराने मे JDU सांसद ललन सिंह के साथ मिलकर कोई कसर नहीं छोड़ रखा था । ऐसे मैं आपको बता दूँ की ये दोनों आपस मे चचा और भतीजे भी हैं , अनंत सिंह चचा है जबकि विवेका पहलवान अनंत सिंह के भतीजे हैं , हालांकि उम्र में विवेका पहलवान ही बड़े है ।

अब जो चौकाने वाली खबर आ रही है वह यह है कि विवेका पहलवान और अनंत सिंह अब एक हो चुके हैं । जो भी इस खबर को सुन रहा है वो हतप्रभ हो रहा है की आखिर ऐसा हुआ कैसे ? अब तो आलम यह है की विवेका पहलवान अनंत सिंह के लिए विधानसभा चुनाव मे प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं ।

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हाल ही में जेडीयू की ओर से मोकामा में अपने प्रत्याशी राजीव नारायण सिंह के समर्थन में एक रैली की गई जिसमे मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ ही ललन सिंह भी मौजूद थे , इस रैली मे सांसद ललन सिंह ने अनंत सिंह की ओर इशारा करते हुए मोकामा की जनता से आह्वाहन किया था की इस बार विजयादशमी मे मोकामा की जनता मोकामा के रावण का दहन कर देगी ।

अब इसका जवाब अनंत सिंह की ओर से भी आ गया है और आपको शायद यह जान कर आश्चर्य होगा की  ललन सिंह को जवाब न तो अनंत सिंह ने दिया और न हीं उनकी पत्नी नीलम देवी ने बल्कि ललन सिंह को जवाब दिया है विवेका पहलवान ने , जो पिछले लोकसभा चुनावों मे ललन सिंह के खास हुआ करते थे ।

अनंत सिंह के लिए चुनाव प्रचार करते हुए विवेका पहलवान ने कहा की इस बार मोकामा विधानसभा की जनता दशहरा में नहिं बल्कि  चुनाव परिणामों के दिन 10 नवम्बर को मोकामा के असली रावण का दहन करेगी । अब विवेका पहलवान ने मोकामा का असली रावण किसे कहा यह निष्कर्ष तो  आपलोग निकालिए ,यह मैं आपलोगों के विवेक पर ही छोड़ता हूँ ।

आज जब अनंत सिंह खुद जेल मे हैं तब विवेका पहलवान जिस तरह से आपसी रंजिश भुला कर उनके लिए चुनाव प्रचार कर रहे है, उसे देखकर क्षेत्र की जनता तो यही कह रही है की कुछ भी हो जाये “अपने तो अपने होते हैं” ।

हालांकि क्षेत्र की जनता में यह संशय भी बना हुआ है की इनकी दोस्ती आखिर कब तक चलेगी , पहले भी एकाध बार दोनों एक हुए थे लेकिन फिर दोनों की राहें जुदा हो गई थी , इसलिए इनके समर्थक और क्षेत्र की जनता भी सशंकित है की अब फिर जब दोनों साथ आए हैं तो कितनी दूर  तक और देर तक दोनों एक दूसरे के साथ चल पाएंगे।

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