विधानसभा चुनाव को लेकर सुपौल में नामांकन की प्रक्रिया जारी है। मंगलवार को दूसरे दिन सुपौल से जदयू विधायक सह सूबे के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और पिपरा से जदयू विधायक रामविलास कामत ने नामांकन पर्चा दाखिल किया। मंत्री बिजेंद्र ने चार तो विधायक रामविलास ने दो सेट में नामांकन दाखिल किया। बिजेंद्र वर्ष 1990 से लगातार सुपौल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि विधायक रामविलास दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव से पूर्व वह जदयू के जिलाध्यक्ष थे और सदर प्रखंड के सुखपुर-सोल्हनी पंचायत से मुखिया रहे। दोनों नेताओं के पर्चा दाखिल करने के बाद जिला मुख्यालय स्थित गांधी मैदान में नामांकन सभा का भी आयोजन किया गया।
सभा में मंत्री ने महज 50 सेकेंड का संबोधन किया। इस दौरान उन्होंने मंचासीन नेताओं और उपस्थित कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया। साथ ही जनता से बीते 05 वर्षोंके कार्यकाल के दौरान काम होने की स्थिति में वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा कि बीते 05 वर्षोंमें अगर सुपौल में काम मैंने नहीं किया है तो मैं माफी मांग लूंगा कि मुझे वोट मत दीजिए। लेकिन, अगर मैंने काम किया है तो मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। इससे पूर्व सभा को झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल ने मैथिली में संवाद करते हुए मंत्री बिजेंद्र को सुपौल ही नहीं पूरे उत्तर बिहार के विकास के लिए प्रयत्नशील नेता बताया।
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उन्होंने कहा कि वह केवल मुखिया और प्रखंड प्रमुख रहे थे। लेकिन, मंत्री बिजेंद्र ने उन्हें पार्टी कार्यालय बुला कर लोकसभा का टिकट दिलाया और दो बार से लगातार संसद पहुंचाया। मंत्री अतिपिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। वही सुपौल सांसद दिलेश्वर कामैत ने भी मंत्री की उपलब्धियां गिनाई। कहा कि वह केवल सुपौल विधानसभा के लिए नहीं, बल्कि पूरे जिले के विकास का विजन रखते हैं, उस पर काम करते हैं। रेलवे, एनएच से लेकर हवाई अड्डा तक हर क्षेत्र में काम हो रहा है। उनकी नीति और नियत को लेकर कोई सवाल नहीं है।
आठ बार के विजेता बिजेंद्र नौवीं बार चुनावी मैदान में
सुपौल से बतौर जदयू प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव इससे पूर्व 08 बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। जेपी आंदोलन से निकले बिजेंद्र वर्ष 1990 में पहली बार जनता दल के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और कांग्रेस के प्रमोद कुमार सिंह को 4256 वोट से हरा कर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में उन्हें 48,104 वोट मिले थे। वर्ष 1991 में सबसे पहले वह उर्जा राज्यमंत्री बने।
इसके बाद से बिजेंद्र सुपौल से लगातार विधायक हैं। वर्ष 2005 में जब एनडीए पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में आई, तब वह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष थे। वर्ष 1991 से अब तक वह पहले लालू-राबड़ी और फिर नीतीश कुमार व जीतन राम मांझी की सरकार में कई अहम मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। फिलहाल उनके पास ऊर्जा और योजना एवं विकास विभाग का जिम्मा है।
सीएम नीतीश के बेहद करीबी बिजेंद्र लगातार रहे हैं अपराजेय
वर्ष 1995 में जनता दल से बिजेंद्र 51,417 वोट लाकर लगातार दूसरी बार कांग्रेस के प्रमोद कुमार सिंह को 13,701 वोट से हराया। इसके बाद जब नीतीश जनता दल से अलग हुए तो बिहार सरकार में लगातार मंत्री रहे बिजेंद्र यादव भी उनके साथ हो लिए। वर्ष 2000 में हुए विस चुनाव में जदयू की टिकट पर 34,321 वोट हासिल कर बिजेंद्र ने राजद के प्रत्याशी सह पूर्व विधायक विनायक प्रसाद यादव को 2448 वोट से पराजित किया। नौवें स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी प्रणय कुमार सिंह को 2261 वोट मिले थे। 2005 के फरवरी में हुए आम चुनाव में बिजेंद्र 34,498 वोट लाकर राजद के इस्रराईल राईन को 20,078 के अंतर से हराया।
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इस चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर सुखपुर ड्योढ़ी से ताल्लुक रखने वाले वंशमणी सिंह 16,389 वोट लाया था। इसी वर्ष अक्टूबर में दोबारा हुए चुनाव में बिजेंद्र को 48,457 वोट लाकर राजद के इस्रराईल राईन को 12,235 मतों से हराया। 2010 में बिजेंद्र ने 55,179 वोट लाकर राजद के रविन्द्र कुमार रमण को 15400 वोट से हराया था। तब तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रमोद कुमार सिंह को 14251 वोट मिले थे। वर्ष 2015 में जदयू महागठबंधन का हिस्सा थी।
तब बिजेंद्र को 82,295 वोट लाकर भाजपा के किशोर कुमार मुन्ना को 37,997 वोट से हराया था। हालांकि, पूर्व विधायक किशोर इससे पूर्व सहरसा जिले की राजनीति करते थे। आखिरी समय में भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारा था। बिजेंद्र प्रसाद यादव के चुनावी इतिहास में अब तक की यह सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत थी। 2020 में वापस एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी बिजेंद्र ने 86,174 वोट लाकर कांग्रेस के मिन्नतुल्लाह रहमानी को 28,099 वोटों के बड़े अंतर से हराया।



