बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और इसी के साथ सीमांचल का हृदय कहे जाने वाले पूर्णिया जिले में चुनावी सरगर्मियां चरम पर हैं। निर्वाचन आयोग ने राज्य में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान की घोषणा की है। पूर्णिया जिले की सभी सात विधानसभा सीटों पर दूसरे चरण में, यानी 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, जिसके परिणाम 14 नवंबर को घोषित होंगे। जिले के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी (डीएम) अंशुल कुमार ने समाहरणालय सभागार में प्रेस वार्ता के दौरान विस्तृत चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए प्रशासनिक तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निर्वाचन की अधिसूचना 13 अक्तूबर को जारी होगी, जिसके साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
पूर्णिया जिला न केवल अपनी भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सीमांचल की राजनीति का केंद्र होने के कारण भी यहां का चुनाव राज्य के सियासी गणित को प्रभावित करता है। जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र हैं। अमौर, बायसी, कसबा, धमदाहा, बनमनखी, रूपौली और पूर्णिया, जहां इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी अंशुल कुमार ने बताया कि जिले के सभी सातों विधानसभा के चुनाव दुसरे चरण में आयोजित होंगे। जिसकी अधिसूचना 13 अक्तूबर को निर्गत की जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर तक निर्धारित की गई है और नामांकन पत्रों की स्क्रुटनी एवं नाम वापसी की तिथि क्रमशः 21 अक्तूबर व 23 अक्तूबर तक होगी। डीएम ने बताया कि जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान कराया जाएगा तथा मतगणना की तिथि 14 नवंबर को निर्धारित की गई है।
डीएम अंशुल कुमार ने बताया कि जिले में कुल 2553 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। इस चुनाव में 20,85,087 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें पुरुषों की संख्या 10,99,912 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9,85,103 है। प्रशासन का विशेष जोर 19,746 PwD (दिव्यांग) मतदाताओं और 8568 वरिष्ठ (85+) मतदाताओं के लिए सुगम मतदान सुनिश्चित करने पर है।
उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही संपूर्ण जिले में आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गई है। साथ ही BNS की धारा 163 (धारा 144)लागू हो गई हैं। डीएम ने स्पष्ट किया कि यह संहिता किसी नए कानून का निर्माण नहीं है, बल्कि पूर्व से बने कानूनों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराने की प्रक्रिया है, जो सभी राजनीतिक दलों, अभ्यर्थियों, सरकारी कर्मियों और आम आदमी पर समान रूप से लागू होती है।
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डीएम ने सभी राजनीतिक दलों के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग हटाने के लिए सख्त समय सीमा तय की गई है। जिसमें सरकारी सम्पत्ति और कार्यालय से: 24 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया है। सार्वजनिक स्थानों/संपत्ति से 48 घंटे के भीतर और निजी भवन परिसर से: 72 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी फार्म से बैनर और पोस्ट हटाया जाएगा तो जिसका हटाने का शुल्क पार्टी की उम्मीदवारों से जोड़ कर लिया जाएगा। निर्वाची पदाधिकारी के चैंबर के 100 मीटर की परिधि में केवल तीन वाहन और चैंबर के अंदर नामांकन के लिए अधिकतम पांच व्यक्ति ही जा सकते हैं।
लाउडस्पीकर का उपयोग केवल सुबह 06:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक ही किया जा सकता है, जिसके लिए अनुमंडल पदाधिकारी से अनुमति अनिवार्य होगी। जुलूस निकालते समय गाड़ियों के क्रम को 10-10 के अंतराल पर गुजारना होगा। चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थलों (मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, अस्पताल) का उपयोग सख्त वर्जित है। इसके अलावा, जाति, धर्म या भाषा के नाम पर तनाव पैदा करना, वोट के लिए डराना, चमकाना या रिश्वत देना कानूनी अपराध है। मतदान समाप्ति के 48 घंटे पूर्व प्रचार करना और राजनीतिक बैठक करना भी पूरी तरह निषेध है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं और आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
Source -Amar Ujala



