बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोगने शुक्रवार को राजनीतिक दलों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित उपकरणों के दुरुपयोग को लेकर चेतावनी जारी की है। आयोग ने कहा कि एआई का दुरुपयोग चुनावी प्रचार में एक गंभीर खतरा और बड़ी चुनौतीहै क्योंकि इसमें सच की तरह दिखाई देने की क्षमता होती है।
आयोग ने वर्ष 2024 और इस साल जनवरी में पहले ही दिशा-निर्देश जारी किए थे। अब जारी की गई यह परामर्शमुख्य रूप से उन्हीं पूर्व निर्देशों को दोहराती है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि राजनीतिक नेताओं के ऐसे वीडियो या संदेश तैयार करना जिनमें वे चुनावी रूप से संवेदनशील बयान देते हुए दिखें और जो एआई की मदद से बनाए गए हों,चुनावी मैदान में समान अवसर को दूषित कर रहा है।
पढे़ं:’महागठबंधन वालों को वोट देंगे तो फिर से आ जाएगा जंगल राज’, यूपी के डिप्टी CM केशव मौर्य का तंज
आयोग ने कहा कि कृत्रिम रूप से तैयार या प्रसारित की गई जानकारीएक गहरा खतरा और चुनौती है, क्योंकि उसमें सच की तरह दिखने की क्षमता होती है। यह परामर्श आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किया है।
3 घंटे में हटानी होगी सामाग्री
चुनाव नियामक ने कहा कि आधिकारिक पार्टी हैंडल पर कृत्रिम रूप से उत्पन्न या एआई-संशोधित छवि, ऑडियो या वीडियो, गलत सूचना या हेरफेर की गई सामग्री का कोई भी उदाहरण पाए जाने पर उसे नोटिस या रिपोर्ट किए जाने के तीन घंटे के भीतर हटा दिया जाना चाहिए। राजनीतिक दलों को एआई-जनित सभी अभियान सामग्रियों का आंतरिक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए कहा गया है, जिसमें निर्माता का विवरण और टाइमस्टैम्प भी शामिल है, ताकि चुनाव आयोग द्वारा मांगे जाने पर सत्यापन किया जा सके।
पार्टी अध्यक्षों, अध्यक्षों और महासचिवों को संबोधित एक पत्र में आयोग ने कहा कि कृत्रिम रूप से तैयार की गई जानकारी को प्रकाशित और प्रसारित करना एक गंभीर खतरा और चुनौती है क्योंकि यह सच का रूप धारण कर सकती है। चुनाव आयोग ने 6 और 11 नवंबर को बिहार में होने वाले मतदान से पहले संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह परामर्श जारी किया।
अपने पिछले दिशानिर्देशों और सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग ने दोहराया कि प्रचार के लिए इस्तेमाल या प्रसारित की जाने वाली किसी भी कृत्रिम रूप से उत्पन्न या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा संशोधित छवि, ऑडियो या वीडियो पर स्पष्ट, प्रमुख और सुपाठ्य लेबल जैसे “एआई-जनित”, “डिजिटल रूप से संवर्धित” या “कृत्रिम सामग्री” अंकित होगी।
यह दृश्य प्रदर्शन क्षेत्र के कम से कम 10 प्रतिशत (या ऑडियो सामग्री के लिए प्रारंभिक 10 प्रतिशत अवधि) को कवर करना चाहिए। वीडियो सामग्री के मामले में यह लेबल स्क्रीन के ऊपरी हिस्से में प्रदर्शित किया जाएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसी प्रत्येक सामग्री के मेटाडेटा या साथ में दिए गए कैप्शन में उसके निर्माण के लिए जिम्मेदार संस्था का नाम प्रमुखता से दर्शाया जाएगा।



