नेपाल के तराई क्षेत्र में पिछले चार दिनों से हो रही अत्यधिक बारिश के कारण बराह क्षेत्र में भारी मात्रा में पानी जमा हो गया है। इसके चलते कोसी बराज से जल निकासी की मात्रा लगातार बढ़ती चली गई। पांच अक्तूबर को अधिकतम 5 लाख 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद तटबंधों के बीच बह रही कोसी नदी उफान पर आ गई और इस बीच बेस गांवों में भीषण बाढ़ आ गई।
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गांव में घुसा पानी
– फोटो : अमर उजाला
सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड की सात पंचायतें तटबंध के अंदर बसी हुई हैं। इन पंचायतों के सभी गांव इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। प्रशासन का दावा है कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए लगातार अपील की जा रही है और पर्याप्त संख्या में नावों की व्यवस्था की गई है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीनी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है और गांवों में त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है।
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गांव में घुसी पानी
– फोटो : अमर उजाला
तटबंध के बीच बसा केदली गांव पूरी तरह बाढ़ग्रस्त हो चुका है। गांव के हर घर में तीन से चार फीट तक पानी भर गया है। सभी सड़कों पर पानी चढ़ जाने से गांव और टोले-मुहल्ले का संपर्क कट गया है। घरों में रखा अनाज, कपड़े और अन्य जरूरी सामान पानी में डूबकर बर्बाद हो चुके हैं। लोगों को बाहर निकलने की कोई ठोस व्यवस्था नजर नहीं आ रही।
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गांव में घुसा पानी
– फोटो : अमर उजाला
गांव की चम्पा देवी बताती हैं कि कोसी में पानी बढ़ने से गांव की स्थिति बहुत खराब हो गई है। घर में रखा कोई सामान नहीं बचा। तीन दिन से जैसे-तैसे खाकर गुजारा कर रहे हैं। सरकार या प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। इसी गांव के राजकुमार ने कहा कि बच्चों के साथ तटबंध पर रह रहे हैं। तीन दिनों से बहुत परेशानी में हैं। तटबंध पर जैसे-तैसे पेट भर रहे हैं। अभी तक किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है।
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पानी के बीच महिला और उसकी बेटी
– फोटो : अमर उजाला
सुदामा ने कहा कि अनाज, कपड़ा सब बर्बाद हो गया। बहुत परेशानी में हैं, अब तक कहीं से कोई मदद नहीं मिली। गांव के ही मो. उमर फारूक ने बताया कि न तो बाहर निकलने के लिए नाव की व्यवस्था है और न ही भोजन के लिए कहीं कोई कम्युनिटी किचन। प्रशासन को तुरंत नाव, सामुदायिक रसोई और मेडिकल की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। इसी तरह राजन कुमार ने कहा कि तटबंध के अंदर डुमरा से गोरपार जाने वाली मुख्य सड़क पूरी तरह डूब गई है। घरों में मवेशी फंसे हुए हैं। अनाज सहित सभी सामान डूब चुके हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को तटबंध पर तो पहुंचा दिया है, लेकिन न तो बांस मिला है और न ही प्लास्टिक, जिससे तात्कालिक झोपड़ी खड़ी की जा सके।



