बिहार चुनाव के लिए राजग ने अगड़ा वोट बैंक में पुरानी और मजबूत पैठ कायम रखने केलिए सामूहिक गोलबंदी की है। कारण, भले ही इस वर्ग में शामिल चार जातियों ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और कायस्थ की आबादी 11 फीसदी से भी कम है, मगर वर्तमान विधानसभा में हर चौथा विधायक अगड़ा वर्ग से है। बीते चुनाव में इस वर्ग से जीतने वाले 64 विधायकों में से राजग के 41 विधायक थे। ऐसे में राजग की रणनीति इस वर्ग पर एकाधिकार कायम करने की है।
आगामी चुनाव के लिए राजग ने इस वर्ग से जुड़ी चार जातियों में एक तिहाई से अधिक 87 टिकट बांटे हैं। यह संख्या पिछले चुनाव से सात ज्यादा है। इनमें भाजपा ने 49, जदयू ने 22, लोजपा ने 10, आरएलएम और हम ने 2-2 सीटों पर इस वर्ग से जुड़े उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें सर्वाधिक उम्मीदवार राजपूत (37) बिरादरी के हैं। गठबंधन ने भूमिहार 34, ब्राह्मण बिरादरी के 14 और कायस्थ के 2 उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें भूमिहार बिरादरी को सभी पांच दलों ने प्रतिनिधित्व दिया है। बीते चुनाव में 2015 के मुकाबले ओबीसी में शामिल सभी जातियों की हिस्सेदारी घटी थी, जबकि अगड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ा था। यादव विधायकों की संख्या 61 से घट कर 52 तो कुर्मी विधायकों की संख्या 16 से घट कर 9 रह गई थी। इसके उलट अगड़ा वर्ग के विधायकों की संख्या 51 से बढ़ कर 64 हो गई थी। इनमें राजपूत विधायकों की संख्या 20 से बढ़ कर 28, भूमिहार की 17 से बढ़ कर 21, ब्राह्मण की 11 से बढ़ कर 12 और कायस्थों की दो से बढ़ कर तीन हो गई थी। इनमें राजग के 41 और महागठबंधन के 11 विधायक शामिल थे।
कायस्थ बिरादरी को घाटा, दो को ही इस बार टिकट
बीते चुनाव में कायस्थ बिरादरी के तीन विधायक जीते थे। तीनों राजग के थे। हालांकि इस बार इस बिरादरी को दो ही टिकट मिले हैं। एक सिटिंग विधायक का भाजपा ने टिकट काट दिया है। बीते चुनाव के मुकाबले राजग ने इस बार कुर्मी से अधिक दांव कुशवाहा बिरादरी पर लगाया है। कुर्मी बिरादरी से महज दो सहयोगियों भाजपा और जदयू ने 14 उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि कुशवाहा बिरादरी को हम को छोड़ कर शेष सभी दलों ने प्रतिनिधित्व दिया है। जदयू ने सर्वाधिक 13, भाजपा ने सात, आरएलएम ने तीन और लोजपा ने इस बिरादरी से एक को प्रतिनिधित्व दिया है। दोनों बिरादरी की आबादी में हिस्सेदारी 7 से 8 प्रतिशत है
राजपूतों व भूमिहारों को ज्यादा भाव क्यों
राज्य में राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी तो भूमिहारों की 2.86 फीसदी है। हालांकि इनकी करीब 80 सीटों पर प्रभावशाली उपस्थिति है। बीते चुनाव में भाजपा के 21 में से 15 राजपूत और 14 में से 8 उम्मीदवार जीते थे। जदयू के सात में से दो राजपूत और 9 में से पांच भूमिहार उम्मीदवार जीते थे। दोनों के ब्राह्मण उम्मीदवारों को राजपूत-भूमिहार बिरादरी के उम्मीदवार की तरह सफलता नहीं मिली थी। भाजपा के 11 ब्राह्मणों में से पांच तो जदयू के पांच ब्राह्मणों में महज दो ही जीत हासिल कर पाए थे। कांग्रेस और राजद के इस बिरादरी के 5 उम्मीदवार जीते थे।



