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Chhath Puja 2025: छठ पूजा का आज तीसरा दिन, जानिए सूर्य उपासना और संध्या अर्घ्य का समय और आरती

12:00 PM, 27-Oct-2025

Chhath Puja Rules 2025: छठ पूजा के नियम

छठ पूजा कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। यह चार दिनों तक चलते है जो दिवाली के बाद छठे दिन मनाया जाता है। इस व्रत में व्रती 36 घंटों तक निर्जला व्रत करते हुए विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। छठ पूजा के दौरान शुद्धता, स्वच्छता का खास ध्यान रखा जाता है। छठ पर्व के दौरान प्याज, लहसुन और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रती को मिट्टी या फिर कांसे के बर्तनों में ही प्रसाद तैयार करना चाहिए। छठ पूजा की सामग्री में फल और बांस की टोकरी को जरूर शामिल करना चाहिए।

11:34 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025: पुराणों में सूर्य पूजा का महत्व

सूर्योपासना का लोकपर्व छठ, छइठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठी मैया के इस त्योहार को साल में दो बार मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले इस त्योहार को चैती छठ कहा जाता है और कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ त्योहार को कार्तिकी छठ कहा जाता है।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय के साथ छठ पर्व का आरंभ होता है और अगले चार दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत कर के संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य देकर और छठ मईया की पूजा और आरती करके आभार व्यक्त किया है।

11:14 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025: छठ पूजा पर सूर्य उपासना का महत्व

आज बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जा रहा है। सूर्यउपासना का सबसे बड़ा दिन छठ का त्योहार होता है। भविष्य पुराण के अनुसार श्री कृष्ण ने सूर्य को संसार के प्रत्यक्ष देवता बताते हुए कहा है कि इनसे बढ़कर दूसरा कोई देवता नहीं है। सम्पूर्ण जगत इन्हीं से उत्पन्न हुआ है और अंत में इन्हीं में विलीन हो जाएगा। जिनके उदय होने से ही सारा संसार चेष्टावान होता है एवं जिनके हाथों से लोकपूजित ब्रह्मा और विष्णु तथा ललाट से शंकर उत्पन्न हुए हैं।

सूर्योपनिषद के अनुसार सूर्य की किरणों में समस्त देव, गंधर्व और ऋषिगण निवास करते हैं। सूर्य की उपासना के बिना किसी का कल्याण संभव नहीं है,भले ही अमरत्व प्राप्त करने वाले देवता ही क्यों न हों।

स्कंद पुराण में सूर्य को अर्घ्य देने के महत्व पर कहा गया है कि सूर्य को बिना जल अर्घ्य दिए भोजन करना भी पाप खाने के समान है और सूर्योपासना किए बिना कोई भी मानव किसी भी शुभकर्म का अधिकारी नहीं बन सकता है।

10:51 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025: छठ पर्व में इन फलों को जरूर करें शामिल

छठ पूजा सामग्री
– फोटो : amar ujala

छठ पर्व में डूबते और उगते सूर्य दोनों को ही अर्घ्य देने का खास महत्व होता है। छठ पर्व का तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य सबसे खास दिन होता है जिसमें डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठी माता को फल, फूल और ठेकुआ अर्पित किया जाता है। छठ पूजा में इन पांच फलों को जरूर शामिल करना चाहिए- केला, अनानास, नींबू, डाभ,गन्ना और सिंघाड़ा।

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10:42 AM, 27-Oct-2025

Chhathi Maiya Aarti Lyrics in Hindi: छठ पूजा में छठी मईया की आरती का महत्व

छठी मईया की आरती

जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

ऊ जे नारियर जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए ॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

शरीफवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए ॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

सभे फलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए ॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥

10:33 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025: छठी माई से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

  1. – छठी माता को ब्रह्राा जी की मानस पुत्री माना जाता है।
  2. – छठी माता को देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी का रूप भी माना जाता है।
  3. – छठी माता को सूर्य देव की बहन माता माना गया है। ऐसे में छठ पर्व पर सूर्यदेव के साथ छठ माता की पूजा करने का विधान होता है।
  4. – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ माता को संतान की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इस कारण से संतान की लंबी आयु, बेहतर सेहत और सौभाग्य की कामना के लिए छठ पूजा का खास महत्व होता है।
  5. – सबसे पहले छठ का व्रत बिहार में देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने किया था। जिसके कारण इनके जीवन में आने वाले सभी तरह के कष्ट दूर हो गए थे।

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10:14 AM, 27-Oct-2025

chhath puja 2025: संध्या अर्घ्य का महत्व

छठ पर्व पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठी माता की पूजा-आराधना होती है। छठ पर्व चार दिनों तक चलता है जिसमें तीसरे दिन छठ पूजा का सबसे खास दिन माना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्यदेव और छठी माता को जल और दूध अर्पित करते हुए उनको बांस के सूप में मौसमी फल, सब्जियां और ठेकुआ अर्पित करती हैं। छठ पर्व पर व्रती करीब 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं।

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10:06 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025: आज छठ पूजा का संध्या अर्घ्य का समय

आज देशभर में छठ पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का होता है। आज के दिन व्रती घाट पर अपने परिवार के सदस्यों संग किसी पवित्र नदी के किनारे आकर शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं और छठी मईया की पूजा करती है। पंचांग के अनुसार आज सूर्यास्त का समय 05 बजकर 40 मिनट का है। इस दौरान सभी व्रती अस्त होते सूर्यदेव की पूजा और अर्घ्य देती हैं।

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10:04 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025 :जानिए छठ पर्व का महत्व

हिंदू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व होता है। लोक आस्था का महापर्व छठ चार दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन छठ पूजा का खास दिन होता है जिसमें छठी मईया की पूजा और डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य कहते हैं। इसके बाद चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटों तक चलने वाले निर्जला व्रत का पारण होता है।

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09:55 AM, 27-Oct-2025

Chhath Puja 2025: आज षष्ठी तिथि पर छठ पूजा

आज सूर्योपसना का सबसे बड़ा त्योहार छठ पूजा का पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार षष्ठी तिथि का आरंभ आज यानी 27 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक है। इस तिथि का समापन 28 अक्तूबर 2025 को सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर होगा।

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