बिहार के दिलों की धड़कनों का ख्याल रखने वाले डॉ प्रभात कुमार का कोरोना के कारण हुआ निधन।

आज कोरोना के इस भयावह दौर में जब प्रायः डॉक्टरों की लापरवाही और असंवेदनशीलता की खबरें अखबारों और न्यूज़ चैनलों की सुर्खियां बनती है तब डॉ. के.के अग्रवाल और प्रभात कुमार जैसे डॉक्टर्स के कारण हीं आज भी लोग डाक्टरों को धरती पर भगवान का दर्जा देते हैं ।

doctor Prabhat Kumar died due to corona

BLN- बिहार और बिहारियों के दिलों की धड़कनों को नई जान देने वाले लोकप्रिय कार्डियोलोजिस्ट डॉ प्रभात कुमार का आज कोरोना से संक्रमित होने के कारण हैदराबाद के एक निजी हॉस्पिटल में निधन हो गया। 
बीते कई दिनों से उनकी तबियत नासाज चल रही थी , उनके दोनों फेफड़े कोरोना संक्रमित हो गए थे। पटना के मेडिवर्सल हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था।
10 मई को अचानक से उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गई , जिसके बाद उन्हें एयर एम्बुलेंस द्वारा हैदराबाद के  एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था।हैदराबाद में एडमिट होने के बाद डॉ प्रभात कुमार की तबियत में सुधार की बात सामने आ रही थी यह भी खबर मिल रही थी कि डॉ प्रभात को अब सांस लेने में कोई समस्या नहीं है और वे बिना ऑक्सिजन सपोर्ट के सांस ले रहे हैं।
लेकिन आज अचानक से उनकी मौत की खबर आई जिससे बिहार के चिकित्सा जगत के साथ हीं उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई।

डॉ प्रभात कुमार कुमार का यूं चले जाना बिहार वासियों के लिए क्यों एक अपूर्तनिय क्षति है?

डॉ प्रभात कुमार बिहार के पहले ऐसे डॉक्टर थे जिन्होंने बिहार के लोगों के लिए दिल्ली , कलकत्ता और अन्य महानगरों में होने वाले इलाज़ को पटना में सुलभ और उपलब्ध कराया था।डॉ प्रभात कुमार हीं बिहार में पहली बार एंजियोप्लास्टी की सुविधा ले कर आये। बिहार के पहले हार्ट इंस्टिट्यूट मेडिका हार्ट इंस्टीट्यूट को अस्तित्व में लाने में भी डॉ प्रभात कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।निश्चित हीं डॉ प्रभात कुमार का यूं चले जाना और इतनी कम उम्र में चले जाना बिहार और बिहारियों के लिए एक अपूर्तनिय क्षति है। 

पद्मश्री डॉ. के.के अग्रवाल भी कह गए इस दुनिया को अलविदा

कल यानि सोमवार रात  लगभग 11 बजकर 30 मिनट पर एक और जीवट और जुझारु डॉक्टर, 2010 में पद्मश्री से सम्मानित 62 वर्षीय डॉ के.के अग्रवाल जो IMA के अध्यक्ष भी रह चुके थे और हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख भी थे उनका भी कोरोना के कारण AIMS हॉस्पिटल में निधन हो गया। 

वैक्सीन के दोनों डोज़ लेने के बावजूद डॉ अग्रवाल कुछ दिनों पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे। कोरोना संक्रमित होने के बावजूद डॉक्टर साहब के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी और वे अपने अंतिम समय तक लोगों की जी जान से मदद करने में लगे हुए थे।

मुफ्त में इलाज करना हो या इमरजेंसी में मरीजों को सलाह देना डॉक्टर अग्रवाल हमेशा मरीजों के लिए उपलब्ध रहने वाले डाक्टर्स में से एक थे। यहां तक कि जब डॉक्टर साहब खुद हॉस्पिटल में एडमिट थे नाक और मुंह मे ऑक्सिजन मास्क लगा हुआ था तब भी ये लोगों को कोरोना से कैसे बचें और कैसे लड़ें इसकी सलाह दे रहे थे।

आज कोरोना के इस भयावह दौर में जब प्रायः डॉक्टरों की लापरवाही और असंवेदनशीलता की खबरें अखबारों और न्यूज़ चैनलों की सुर्खियां बनती है तब डॉ. के.के अग्रवाल और प्रभात कुमार जैसे डॉक्टर्स के कारण हीं आज भी लोग डाक्टरों को धरती पर भगवान का दर्जा देते हैं ।नतमस्तक है बिहार और बिहार की जनता इनके द्वारा समाज को दिए गए इनकी सेवाओं के सामने और इनकी शहादत के सामने।

विनम्र श्रंद्धाजलि

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