गिलोय घनवटी बनाने की विधि– गिलोय के सेवन के कई फायदे हैं। चाहे अपने शरीर के अंदर वात-पित्त कफ को संतुलित करना हो, डायबिटीज़, भूख नहीं लगने की समस्या, बुखार मेँ, उल्टी रोकने मेँ, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने मेँ, टीबी मेँ, फाइलेरिया मेँ, पाईल्स, कब्ज़ और भी कई अन्य बीमारियों मेँ गिलोय का सेवन अलग अलग तरीकों से किया जाता है।
गिलोय से संबन्धित कई आयुर्वेदिक दवाएं मार्केट मेँ उपलब्ध हैं, डाबर की अमृतारिष्ट, पतंजलि की गिलोय जूस या गिलोय घन वटी के साथ हीं और भी कई कंपनियों की दवाएं अलग-अलग नामों से मार्केट मेँ आ रही है, लेकिन कोरोना के कारण इस महामारी मेँ या तो दवाएं सभी जगह उपलब्ध नहीं हो प रही है, या उपलब्ध हैं भी तो आपकी पहुँच से दूर है।
हालात जो भी हों और जैसे भी हों अब आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज मैं इस पोस्ट के माध्यम से आपको घर पर बैठे-बैठे हीं गिलोय की एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा गिलोय घनवटी बनाने की विधि बताने वाला हूँ। अब आप भी इस आसान प्रक्रिया को अपनाकर अपने घर पर गिलोय घनवटी बना पाएंगे और गिलोय घन वटी के स्वास्थ्यवर्धक गुणों का लाभ उठा पाएंगे।
तो आइए अब जानते हैं गिलोय घनवटी बनाने की विधि
गिलोय घनवटी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
गिलोय का डंठल
पानी
गैस का चूल्हा या लकड़ी/गोबर के उपले का चूल्हा
गिलोय कि पहचान कैसे करें?

गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।
यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है।
गिलोय घनवटी बनाने की विधि
सबसे पहले गिलोय के डंठल को अच्छी तरह से साफ करके छोटे-छोटे टुकड़ो मे तोड़कर खल-मूशल मेँ कूट लें, यदि खल और मूशल घर मेँ उपलब्ध नहीं है तो पत्थर का सिल्वट्टा होगा उस से हीं कूट लें।
गिलोय को अच्छी तरह से कूटने का बाद एक भगोने मेँ 1:4 के अनुपात मेँ पानी डालें, यानि कि यदि आपने 500g गिलोय लिया है तो लगभग 2 लीटर पानी लें।
जब पानी खौलने लगे तो उसमें पहले से कूटा हुआ या स्मश किया हुआ गिलोय डाल दें, अब चूल्हे कि आंच को मध्यम पर कर दें। जब भगोने का पानी तीन चौथाई जल चुका हो और एक चौथाई बच गया हो तब चूल्हा बंद कर दें, या भगोने को चूल्हे पर से नीचे उतार दें।
अब एक साफ सूती कपड़ा ले कर भगोने मेँ शेष बच गए पानी और गिलोय को किसी साफ बर्तन मेँ छान लें। गिलोय से पानी कि एक-एक बूंद को निचोड़ लें। जब गिलोय से पानी पूरी तरह छन जाये तब उस बर्तन को जिसमें आपने उबले हुए गिलोय के रस को निकाला था, उससे गिलोय के घन को प्राप्त करने के लिए उसे पुनः चूल्हे पर चढ़ा दें।
इस प्रक्रिया के दौरान चूल्हे की आंच को मध्यम ही रखें और साथ हीं एक चम्मच या करछी से उसे चलाते रहे। जब गिलोय के रस मेँ मौजूद सारा पानी सूख जाये और बिल्कुल गाढ़ा गिलोय का घन हीं बर्तन मेँ शेष रह जाये तब बर्तन को चूल्हे पर से नीचे उतार लें, यह ध्यान रखना है कि इस प्रोसैस मेँ गिलोय का घन जलने ना पाए।
अब बर्तन मेँ जो गिलोय का घन है उसे हवा मेँ या धूप मेँ तब तक सूखने दें जब तक कि आप आसानी से उसे छोटी-छोटी गोलियों का आकार न दे सकें। यदि ज्यादा जल्दबाज़ी है तो गिलोय से प्राप्त गिलोय के घन मेँ थोड़ी मात्र मेँ गिलोय का पाउडर मिला दे और उसकी वटी यानि कि टैबलेट या गोलियां बना लें।
तो इस विधि को अपनाकर आप भी अपने घर पर हीं गिलोय घनवटी बना सकते हैं। उम्मीद करता हूँ कि गिलोय घनवटी बनाने की विधि आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक जानकारी देने के आपका हार्दिक धन्यवाद ।