BLN– जबसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बेल पर छूट कर वापस आए हैं शायद हीं ऐसा कोई दिन बीता होगा जब वे नीतीश सरकार पर हमलावर नहीं रहे हों। अपनी खराब स्वास्थ्य के बावजूद लालू प्रसाद यादव बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की दयनीय स्थिति को लेकर लगातार नीतीश कुमार पर ट्विटर के माध्यम से आक्रमण करते रहते हैं।
आपको बता दें कि आज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की शादी की 48वीं सालगिरह भी है।
लालू यादव ने लगाए नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने नीतीश सरकार पर नालंदा के एक उप स्वास्थ्य केंद्र का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया है कि बिहार में कई स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जो गुलाबी फाईलों में तो कार्यरत हैं लेकिन जमीन पर ये निष्क्रिय एवं मृतप्राय पड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को ऐसे स्वास्थ्य केन्द्रों को कागजों में जीवित रखने से प्रसाद रूपी चढ़ावा प्राप्त होता है।
लालू प्रसाद यादव ने राज्य कि सरकार को नकारापन के वायरस से ग्रसित बताया, उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि उनके द्वारा बनाए गए स्वास्थ्य केन्द्रों को सरकार ने बंद करा दिया लेकिन गुलाबी फाईलों (सरकारी फाईलों) में ये अभी तक चल रहे हैं। सरकार के नकारापन के वायरस ने ऐसे हजारों स्वास्थ्य केन्द्रों कि बलि ले ली।
लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी नालंदा के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुआ लिखा कि “नीतीश ने अपने गृह जिला नालंदा में भी हमारे द्वारा बनाया गया स्वास्थ्य केंद्र बंद करा दिया लेकिन गुलाबी फाइलों में यह चालू है। इनके नाकारापन के वायरस ने ऐसे हज़ारों स्वास्थ्य केंद्रों की बलि ली है क्योंकि इनके फाइलों में कार्यरत रहने से प्रसाद रूपी चढ़ावा प्राप्त होता रहता है”।
लालू प्रसाद यादव जिस स्वास्थ्य केंद्र कि बात कर रहे हैं वह बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हिलसा विधानसभा में करायपारसुराय प्रखंड के चकवाजितपुर में स्थित है।
संकीर्ण और नकारात्मक मानसिकता के धनी ने बाक़ी हज़ारों स्वास्थ्य केंद्रों की तरह इसे भी ज़मीनदोज कर दिया।
आज तड़के लालू प्रसाद यादव ने इसी कड़ी में आरजेडी सहरसा के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए सहरसा के एक बंद पड़े हॉस्पिटल जिसका उद्घाटन लालू प्रसाद यादव ने स्वं अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में किया था उसका ज़िक्र करते हुए लिखा कि “सहरसा में करीब 14 करोड़ की लागत से बने इस रेफरल अस्पताल का 1995 में हमने उद्घाटन किया था ताकि पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के अंदर बसे लाखों लोगों को इलाज उपलब्ध कराया जा सके लेकिन संकीर्ण और नकारात्मक मानसिकता के धनी ने बाक़ी हज़ारों स्वास्थ्य केंद्रों की तरह इसे भी ज़मीनदोज कर दिया।
आप को बता दें कि लालू प्रसाद यादव का यह ट्वीट तब आया है जब आजतक चैनल पर बिहार कि स्वास्थ्य व्यवस्था कि दयनीय स्थिति पर एक रिपोर्ट दिखाई गई जिसमें दिखाया गया है कि सहरसा में किस प्रकार शटर वाले दूकानों में स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं, यहाँ के स्वास्थ्य केंद्र के पास अपना खुद का भवन तक नहीं है और इसके ठीक विपरीत दूसरी ओर 26 वर्ष पहले बना एक हॉस्पिटल जिसका उद्घाटन लालू प्रसाद यादव ने किया था वह जर्जर अवस्था में पहुँच गया और एक खंडहर में तब्दील हो गया है।
बिहार में एक सशक्त विपक्ष और विपक्षी नेता कि जो कमी सरकार को खल रही थी वह लालू यादव के जेल से बाहर आने के बाद पूरी होती हुई दिख रही है। ऐसा नहीं है कि तेजस्वी बिहार में विपक्ष के नेता या नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं निभा रहे हैं, लेकिन लालू यादव वाला करिश्मा फिलहाल उनके पास नहीं है यह एक सच्चाई है।
लालू प्रसाद यादव का स्वास्थ्य भले हीं बहुत अच्छा नहीं है और कोरोना की वजह से वे बिहार की राजनीति में उतने सक्रिय नहीं है अमूमन वे जितना रहते हैं, लेकिन ट्विटर पर वे लगातार एक्टिव हैं और अपने ट्वीट के माध्यम से लालू नीतीश कुमार और उनकी सरकार को असहज और निःशब्द करने में इन दिनों कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
उम्मीद है की सरकार के साथ हीं बिहार के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल कौन कितना बड़ा भ्रष्टाचारी है और मेरा भ्रष्टाचार तुम्हारे भ्रष्टाचार के सामने कुछ नहीं है जैसे खेल से बाहर निकलकर इस वाजिब सवाल का जवाब जनता को देंगे की, क्या वास्तव में लालू प्रसाद यादव द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं? क्या वर्षों से बंद पड़े स्वास्थ्य केन्द्रों पर सरकारी पैसा खर्च हो रहा है या नहीं? अगर ऐसा हो रहा है तो उसके लिए दोषी और जिम्मेदार कौन है?