पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हुई मौत क्या बिहार पुलिस की कार्यसंस्कृति पर लगा एक बदनुमा दाग है?

सूबे के मुख्यमंत्री समाज सुधार यात्रा पर हैं। वे समाज सुधारना चाहते हैं लेकिन वर्तमान  परिस्थिति में समाज से ज्यादा बिहार में पुलुसिया कार्यसंस्कृति में सुधार की आवश्यकता महसूस हो रही है।

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BLN:लेडी सिंघम के नाम से मशहूर पुलिस अधिक्षिका लिपि सिंह बहुत हीं कम समय अंतराल में एक बार पुनः चर्चा के केंद्र में हैं। दुर्गा पूजा के अवसर पर मुंगेर में हुए गोलीकांड और उस गोलीकांड में अपनी जान गवाने वाले युवक अनुराग पोद्दार की मौत की पहली बरसी  को अभी कुछ हीं महीने बीते हैं कि एक बार फिर लिपि सिंह सुर्ख़ियो में हैं।


मुंगेर में श्रीमति लिपि सिंह के SP रहते हुए दुर्गा पूजा के अवसर पर मुंगेर पुलिस ने जो सूझबूझ दिखाई थी वह किसी से छुपा नहीं है। वर्तमान समय में लिपि सिंह सहरसा की SP हैं। उनके नेतृत्व में सहरसा पुलिस भी कामयाबी के नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।


विगत 18 दिसंबर की रात एक जमाने में सहरसा का आतंक कहे जाने वाले पप्पू देव की मौत पुलिस कस्टडी में हो गई।
सहरसा पुलिस के अनुसार पप्पू देव की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई। लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आया तब पता चला की पप्पू देव के शरीर पर 30 जगह गंभीर चोट के निशान थे।


पप्पू देव के पोस्टमार्टम के वक्त मौजूद एक चश्मदीद के अनुसार जब 3 डॉक्टरों की टीम ने पप्पू देव की खोपड़ी खोली तो सर के अंदर भारी मात्रा में ब्लड पाया गया। डॉक्टरों के अनुसार ऐसा तभी संभव है जब सर के ऊपर कुछ रखकर उसके ऊपर किसी भारी हथियार से प्रहार किया जाए। कुल मिलाकर पुलिस की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क दिख रहा है।

जिस प्रकार से पुलिस रात के समय पूरे दल बल के साथ पप्पू देव को पकड़ने पहुंची वह भी एक  जमीनी विवाद में उससे तो यही प्रतीत होता है कि सहरसा पुलिस हॉलीवुड की फिल्मों में दिखाए जाने वाले LAPD और न्यूयॉर्क पुलिस से भी आगे निकल जाने की जल्दी में थी। सहरसा पुलिस की यह अतिसक्रियता अपने आप में हीं संदेह की स्थिति उत्पन्न करती है।


कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पप्पू देव कोई  साधु तो था नहीं, चलिए यह भी मान लेते हैं की पप्पू देव कोई साधु नहीं थे लेकिन क्या हमारे देश में शैतानों को भी इस तरह पीट-पीट कर मार डालने का कानून है क्या?


अगर ऐसे हीं न्याय होने लगे तब तो कोर्ट- कचहरी की आवश्यकता हीं नहीं है। पुलिस हिरासत में पप्पू देव की नृशंस मौत के कारण बिहार पुलिस की कार्यसंस्कृति पर  एक ऐसा बदनुमा दाग लगा है जिसका निशान बिहार पुलिस महकमे के चेहरे पर लंबे अरसे तक रहने वाला है।
सूबे के मुख्यमंत्री समाज सुधार यात्रा पर हैं। वे समाज सुधारना चाहते हैं लेकिन वर्तमान परिस्थिति में समाज से ज्यादा बिहार में पुलुसिया कार्यसंस्कृति में सुधार की आवश्यकता महसूस हो रही है।


लिपि सिंह बिहार के एक बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री RCP Singh की बेटी भी है। इसलिए मौजूदा जदयू सरकार पर उन्हें आवश्यकता से अधिक संरक्षण देने का आरोप भी समय – समय पर लगता रहता है। मुंगेर गोलीकाण्ड की घटना के बाद जिस तरह  उन्हें सरकार द्वारा प्रोन्नति देकर सहरसा का SP बनाया गया उससे सरकार पर लग रहे आरोप कुछ हद तक सही भी प्रतीत होते हैं।


नीतीश कुमार अपनी साफ छवि के कारण जाने जाते हैं। ऐसी घटनाओं से पुलिस महकमे के साथ हीं सरकार और राज्य की छवि भी ख़राब होती है। आवश्यकता है कि सरकार द्वारा पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हुई मौत की उच्च स्तरीय जांच करवायी जाए और दोषियों  को सजा दी जाए।

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