Pranayam in Hindi :- प्राणायाम क्या है इसके अर्थ, प्रकार और क्या है प्राणायाम करने की विधि पढ़िये सबकुछ विस्तार से हिन्दी में

प्राणायाम की तकनीकें ऐसी विधियाँ प्रदान करती हैं, जिनके द्वारा जीवन की शक्ति को सक्रिय और नियमित बनाया जा सकता है, और अपनी सामान्य सीमाओं के परे जाकर स्पंदशील ऊर्जा की उच्च अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है।

Pranayam in Hindi

Pranayam in Hindi :- सामान्य रूप से प्राणायाम की परिभाषा श्वास पर नियंत्रण के रूप में दी जाती है। प्राणायाम दो शब्द प्राण और आयाम से मिलकर बना है, प्राण का अर्थ होता है जीवन की शक्ति और आयाम का अर्थ होता है विस्तार या प्रसार इस प्रकार प्राणायाम का अर्थ प्राण के आयाम का विस्तार या प्रसार होता है ।

प्राणायाम की तकनीकें ऐसी विधियाँ प्रदान करती हैं, जिनके द्वारा जीवन की शक्ति को सक्रिय और नियमित बनाया जा सकता है, और अपनी सामान्य सीमाओं के परे जाकर स्पंदशील ऊर्जा की उच्च अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है।

Pranayam Kaise Karen in hindi :-   प्राणायाम कैसे करें

मुख्य रूप से प्राणायाम के अभ्यासों में श्वसन के चार महत्व पूर्ण पक्षों को उपयोग में लाया जाता है।

  • पूरक (सांस अंदर लेना)
  • रेचक (सांस बाहर छोड़ना)
  • अंतर्कुम्भक (सांस अंदर रोक के रखना)
  • बहिर्कुम्भक ( बाहर की ओर सांस रोकना)

प्राणायाम के सभी चरणों मे या अभ्यासों में इन्ही 4 पहलुओं का उपयोग किया जाता है। इन 4 चरणों के अलावे प्राणायाम का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कुंभक ( स्वतः सांस का रुकना ) यह प्राणायाम का उच्च चरण है, जिसका अनुभव ध्यान की उच्च अवस्था प्राप्त करने के बाद हीं हो पाता है । इस अवस्था में फेफड़े अपना कार्य करना स्वतः बंद कर देते हैं, और श्वसन की क्रिया रुक सी जाती है।

उपर दिये गए प्राणायाम के चारो पक्षों के निरंतर अभ्यास से ही कुंभक की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है । कुंभक की अवस्था को प्राप्त करना ही आध्यत्मिक योग पुरुषों के लिए प्राणायाम का वास्तविक लक्ष्य होता है, क्योंकि इस अवस्था में योगी बंद आँखों से वह भी देख सकते हैं जो हम और आप खुली आँखों से भी नहीं देख सकते हैं।

प्राणायाम करने से पहले किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए

प्राचीन ग्रन्थों में प्राणायाम के बारे में असंख्य नियम और निर्देश दिये गए हैं , उनमे से कुछ महत्वपूर्ण बाते हैं आंतरिक और बाह्य चिंतन एवं रहन सहन में संयम के साथ हीं संतुलन और समझदारी का ब्यवहार । इसके साथ ही प्राणायाम करते समय नीचे बताए गए बातों का ख्याल अवश्य रखें।

श्वसन

हमेसा नाक से सांस लें मुँह से बिलकुल नहीं। अगर विशेष परिस्थितियों में आपको मुँह से श्वास लेने को कहा जाए तभी ऐसा करें। अभ्यास प्रारम्भ करने से पहले अपनी नाक को अच्छी तरह से साफ कर लें, आप चाहे तो इसके लिए जलनेती का भी सहारा ले सकते हैं । अभ्यास के दौरान अपने नासिकाछिद्र के प्रति सजग रहे अर्थात अपनी सांस को अंदर जाते हुए और बाहर निकलते हुए महसूस करें ।

प्राणायाम किस समय करें

प्राणायाम के अभ्यास के लिए सबसे उत्तम समय सुबह का होता है , यदि सुबह किसी कारण से समय नहीं मिल पाता है तो दूसरा सही समय सूर्यास्त के तुरंत बाद का होता है लेकिन कुछ प्राणायाम जैसे प्रशान्तक प्राणायाम का अभ्यास रात में सोने से पहले भी किया जा सकता है ।

प्राणायाम करने का स्थान कैसा हो ?

प्राणायाम का अभ्यास शांत, स्वच्छ और सुखदायक कमरे में करना चाहिए जिसमें स्वच्छ हवा का प्रवेश हो सके और जो बहूत अधिक हवादार भी नहीं हो। खुली धूप में अभ्यास नहीं करें क्योकि धूप से शरीर अधिक गर्म हो जाता है । सूर्योदय के समय उषाकालीन धूप में आप अभ्यास कर सकते हैं।

अभ्यास करते समय पंखे या एसी का प्रयोग नहीं करे तो ज्यादा अच्छा होगा ।

प्राणायाम करने के लिए बैठने का आसन कैसा होना चाहिए ?

सिद्धासन या सिद्धयोनि आसन प्राणायाम के लिए सर्वोत्तम आसनो में से एक है। अभ्यास की अवधि में शरीर अधिक से अधिक शिथिल रहना चाहिए साथ ही मेरुदंड यानि की रीढ़ की हड्डी , गर्दन और सिर एक सीध में रखें।

प्राणायाम के क्रम

आसनों के पश्चात और ध्यान के पहले प्राणायाम करना चाहिए, प्राणायाम के बाद कुछ देर शवासन यानि की शव की तरह अपने शरीर को ढीला छोड़कर पीठ के बल सीधा लेटना चाहिए।

प्राणायाम खाली पेट करें या खाने के बाद ?

प्राणायाम करने के लिए पेट खाली होना चाहिए या खाने के 3 से 4 घंटे के बाद भी कर सकते हैं, क्योकि अगर पेट मे खाना रहेगा तब फेफड़ो पर अतिरिक्त दबाब पड़ेगा जिससे गहरी सांस लेने मे परेशानी होती है।

प्राणायाम के प्रकार

प्राणायाम के मुख्यतः 9 प्रकार हैं ।

  • नाड़ी शोधन प्राणायाम (Naari Shodhan pranaayaam)
  • शीतली प्राणायाम   (Shitli pranaayam)
  • शीतकारी प्राणायाम  (shitkari pranaayaam)
  • भ्रामरी प्राणायाम  (bhramri pranaayaam)
  • उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranaayaam)
  • भस्त्रिका प्राणायाम  (Bhrastika Pranaayaam)
  • कपालभाति प्राणायाम (Kapaalbhati Pranaayaam)
  • मूर्च्छा प्राणायाम  (Murcha Pranaayaam)
  • सूर्यभेद प्राणायाम (Surybhed Pranaayaam)

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