बिहार में सियासी पारा हर दिन चढ़ता ही जा रहा है और इस बीच अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ मधेपुरा की धरती पर पहुंच चुका है। आज 1 नवंबर की सुबह चाय की चुस्की के साथ जनता से वहां के मुद्दों पर सवाल पूछे गए। क्या कुछ बातें हुईं, आइये जानते हैं।
मौसम की दुश्वारियों के बीच चाय पर चर्चा की शुरुआत स्थानीय निवासी सतीश कुमार के साथ हुई। बातचीत के दौरान सतीश ने कहा कि मधेपुरा की सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति है। उन्होंने बताया कि यहां 700 करोड़ रुपये की लागत से एक बड़ा अस्पताल बना है, लेकिन उसमें एक भी ढंग का डॉक्टर नहीं है। अगर किसी को कुछ हो जाए, तो मरीज को सीधे पटना और दरभंगारेफर कर दिया जाता है।
सतीश ने आगे कहा कि लालू प्रसाद यादव ने इस जिले को रेल फैक्टरीतो दी, लेकिन अफसोस की बात है कि आज तक वहां एक भी पुर्जा नहीं बनता। जो भी सामान आता है, वह बाहर से लाया जाता है। सतीश ने रोजगार की बात पर कहा कि जो सरकार रोजगार पर गंभीरता से बात करेगी, हम उसी के साथ हैं।सतीश ने यह भी जोड़ा कि यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। अगर आप दाखिल-खारिज के लिए ब्लॉक कार्यालय जाते हैं, तो एक लाख रुपये तक की घूस मांगी जाती है।
इस बीच, एक अन्य स्थानीय युवक सींटू कुमार से भी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा दर्द बेरोजगारी है और इसका समाधान उन्हें केवल तेजस्वी यादव में दिखता है। जब उनसे पूछा गया कि ‘तेजस्वी इतने रोजगार कहां से देंगे?’तो सींटू ने जवाब दिया कि अगर राजद की सरकार बनती, तो निश्चित तौर पर यहां फैक्टरियां लगेंगी औरइन्हीं फैक्ट्रियों के जरिए बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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वहीं, स्थानीय निवासी सुरेश कुमार ने एनडीए के समर्थन में अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में विकास कार्य किए हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार दोबारा महागठबंधन का रुख कर सकते हैं, तो सुरेश ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कतई संभव नहीं है।
इस बीच मधेपुरा की सियासत को लेकर स्थानीय अरुण कुमार यादव से सवाल किया गया।जिसपर अरुण कुमारने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि नीतीश कुमार ने काम किया है, लेकिन अब उनका रिटायरमेंट का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि अब तेजस्वी यादव को मौका देना चाहिए। अरुण कुमार ने आगे जोड़ा कि मधेपुरा और सिंहेश्वर के मौजूदा विधायकों के प्रति जनता में गहरी नाराजगी है। स्थिति यह है कि जनप्रतिनिधि जनता से संपर्क तक नहीं रखते। इस बार मधेपुरा में मुकाबला कड़ा है और माहौल पूरी तरह फंसा हुआ है।



