बिहार की सियासत का ताप हर दिन बढ़ता ही जा रहा है और इसी बीच अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ सीवान की धरती पर उतर चुका है। यहां की गलियों, चाय की दुकानों और चौपालों में जनता की आवाज ही असली ताकत बनकर उभर रही है। आज, 14 अक्टूबर की सुबह, हमारी टीम ने सीवान के मतदाताओं से खुलकर बातचीत की। चाय की प्याली के बीच आम लोगों ने अपनी राय साझा की, तो दोपहर में युवाओं से मिलकर चुनावी मुद्दों और वोटिंग रुझानों की पड़ताल की गई। कौन है जिसकी ओर झुकी है जनता की नजर? क्या हैं उनकी उम्मीदें और सवाल? अमर उजाला के ‘सत्ता का संग्राम’ में हर राय, हर सवाल और हर उम्मीद बन रही है इस चुनावी कहानी का अहम हिस्सा।
विश्व सोनी ने कहा कि सीवान में अभी चुनावी माहौल पूरी तरह साफ नहीं हुआ है। यहां अब तक किसी ने नामांकन नहीं किया है, इसलिए इस समय कुछ तय कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि सीवान की सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। लोगों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। इसके अलावा, शिक्षा का माहौल भी कमजोर है और कई युवा नशे की लत में फंस रहे हैं, जो चिंता का विषय है। स्थानीय निवासी जहीर अलाम ने कहा, ‘टिकट की घोषणा होने के बाद ही यहां के माहौल का अंदाजा लग पाएगा। इस बार महागठबंधन की चुनाव बन रही है। मोहम्मद शहाबुद्दीन ने यहां पर बहुत ज्यादा विकास किया है। उन्होंने यहां पर स्टेडियम बनाया था।
गुड्डू ने कहा कि यहां के मौजूदा विधायक ने अब तक कोई काम नहीं किया है, इलाके में विकास की बहुत जरूरत है और अब बदलाव होना चाहिए। शराबबंदी पर उन्होंने कहा कि शराब बंद करना सही कदम था, लेकिन अब युवा सूखा नशा करने लगे हैं, जिससे वे बुरी राह पर जा रहे हैं। तेजस्वी यादव को लेकर उन्होंने कहा कि अगर तेजस्वी यादव जीतते हैं, तो उम्मीद है कि वो युवाओं को नौकरी देंगे और रोजगार के मौके बढ़ाएंगे।