Monday, November 17, 2025
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SIR: एसआईआर की घोषणा पर विवाद, राजनीतिक पार्टियों की आपत्ति पर भाजपा बोली- ये देशहित की हर बात के विरोधी

चुनाव आयोग ने सोमवार को मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण का एलान कर दिया। इस चरण के तहत देश के 12 राज्यों में एसआईआर किया जाएगा। हालांकि चुनाव आयोग के एलान के बाद इस पर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। कई राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग की घोषणा पर सवाल खड़े किए और तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके ने तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठा दिए।

डीएमके ने चुनाव आयोग पर लगाए आरोप

डीएमके के प्रवक्ता सर्वानन अन्नादुरई ने कहा कि ‘असम में एसआईआर क्यों नहीं किया जा रहा है? एसआईआर की प्रक्रिया कब से नागरिकता जांचने की प्रक्रिया बन गई है? बिहार में चुनाव आयोग को कितने फर्जी या अवैध मतदाता मिले? कई ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब चुनाव आयोग को देना है।’ डीएमके प्रवक्ता ने साल 2003 को कटऑफ साल रखने पर सवाल उठाए और पूछा कि 2003 को ही क्यों आधार बनाया गया है। इससे किसे फायदा होगा। इसे लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। डीएमके ने कहा कि ‘हम देख रहे हैं कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहा है और वोट चोरी में शामिल है। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता इस समय सबसे कम है।’

‘एसआईआर योजना लोकतंत्र के लिए खतरा’

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने चुनाव आयोग द्वारा केरल और दूसरे राज्यों में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (SIR) करने के फैसले की कड़ी आलोचना की और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक गंभीर चुनौती बताया। एक बयान में, उन्होंने कहा कि इस कदम से चुनाव आयोग की मंशा पर शक पैदा होता है और चेतावनी दी कि यह चुनावी व्यवस्था में लोगों के भरोसे को कम कर सकता है।

विजयन ने बताया कि आयोग मौजूदा वोटर लिस्ट के बजाय 2002 से 2004 तक की वोटर लिस्ट के आधार पर रिवीजन करने की तैयारी कर रहा है, जो 1950 के रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट और 1960 के रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि ये कानून साफ तौर पर कहते हैं कि कोई भी अपडेट मौजूदा वोटर लिस्ट को आधार बनाकर ही किया जाना चाहिए।

टीएमसी ने कहा- वैध मतदाता को परेशान किया गया तो हम विरोध करेंगे

पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर की प्रक्रिया होगी। टीएमसी ने इसे लेकर कहा कि ‘हम भी पारदर्शी मतदाता सूची के पक्ष में हैं। पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से होगी, लेकिन अगर वैध मतदाता को परेशान किया गया तो हम इसका विरोध करेंगे। राज्य सरकार, राज्य धर्म निभाएगी। हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव आयोग राजनीतिक दबाव में ऐसा कुछ नहीं करेगा कि हमें उसका विरोध करना पड़े।’

ये भी पढ़ें-अब मतदाता सूची से खेल नहीं:ECI ने 12 राज्यों में फ्रीज की लिस्ट, आज से SIR 2.0 शुरू; जानें पूरी प्रक्रिया

वहीं पश्चिम बंगाल भाजपा ने टीएमसी के बयान पर निशाना साधा। भाजपा नेता केया घोष ने कहा कि भाजपा का मानना है कि बंगाल में कोई भी फर्जी या अवैध मतदाता नहीं होना चाहिए। ममता बनर्जी की सरकार एसआईआर से इसलिए डर रही है क्योंकि उनके वोटबैंक में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए शामिल हैं। टीएमसी को डर है कि एसआईआर के बाद अवैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हट जाएंगे।

भाजपा नेता बोले- देशहित के हर काम का विपक्षी करते हैं विरोध

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि चुनाव की गरिमा को बनाए रखना और मतदाता सूची का पुनरीक्षण करना चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है और हम एसआईआर के दूसरे चरण का स्वागत करते हैं, लेकिन इंडी गठबंधन इसका विरोध कर रहा है, जबकि उन्होंने खुद ही महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव से पहले एसआईआर कराने की मांग की है। वे एसआईआर पर निशाना साधकर अपने परिवार को बचाना चाहते हैं। भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि ‘देशहित के हर काम का विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध किया जाता है। एसआईआर की प्रक्रिया में किसी भी सही मतदाता का नाम नहीं कटेगा, लेकिन अैध और फर्जी मतदाताओं पर रोक लगेगी। कोई भी बांग्लादेशी भारत का मतदाता नहीं बन सकेगा। हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें इसमें सहयोग करेंगी और अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी।

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