मुरादाबाद में 22 सप्ताह की गर्भवती रेप पीड़िता गर्भपात कराए बिना डॉक्टरों की निगरानी के बीच महिला अस्पताल से चली गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस बात से बेखबर रहे। गर्भपात की प्रक्रिया के लिए दस्तावेज पूरे किए और जांच भी कराई लेकिन अधिकारियों के जाने के बाद वहां से चली गई।
स्वास्थ्य विभाग ने इसकी रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट और पुलिस को सौंप दी है। दुष्कर्म पीड़िता के निजी अस्पताल में गर्भपात कराने के निवेदन पर विभाग का कहना है कि इस संबंध में कोई लिखित पत्र नहीं मिला है। पीड़िता ने अधिकारियों को ऐसा कुछ नहीं बताया है। अस्पताल से जाने के बाद भी उससे संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन पीड़िता नहीं आई।
विभाग का कहना है कि निजी अस्पताल में गर्भपात के लिए पीड़िता को कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति की ओर से शक्तियां निहित करने के बाद सीजेएम कोर्ट ने पीड़िता को गर्भ गिराने की अनुमति दी थी। भ्रूण को सुरक्षित रखकर उसका डीएनए सैंपल कराने की भी अनुमति दी गई।
22 अक्तूबर को पीड़िता को महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो स्त्री रोग विशेषज्ञों की देखरेख में उसे रखा गया। इसके अलावा बोर्ड में एक फिजिशियन, एक एनेस्थेटिस्ट और एक सर्जन को शामिल किया गया। 23 अक्तूबर की रात स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को खबर मिली की पीड़िता अस्पताल से जा चुकी है।
इसके बाद मामले की रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट और पुलिस को सौंप दी गई। अब कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे की प्रक्रिया होगी। वहीं निगरानी के बीच पीड़िता के अस्पताल से जाने के मामले में जिम्मेदार कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।



