राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने रविवार को पूरे जोरशोर के साथ बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर सहमति बनने की घोषणा की। सोशल मीडिया पर सीट बंटवारे के फॉर्मूले को भी साझा किया गया। अगले कदम के तहत सोमवार को सभी सहयोगी दलों की संयुक्त प्रेस वार्ता में सीट बंटवारे पर आधिकारिक घोषणा की जानी थी। लेकिन सीट संख्या तय होने के बाद अब इस बात पेंच फंस गया है कि किसी दल को कौन-सा विधानसभा क्षेत्र मिलेगा।
सीटें चिह्नित करने पर सहमति न बनने पर राजग को संयुक्त प्रेस काॅन्फ्रेंस तक टालनी पड़ी। दरअसल सीट बंटवारे में बड़ा भाई का ओहदा गंवाने वाले जदयू को अब अपने हिस्से की चुनिंदा सीटें लोजपा (आर), हम और आरएलएम को देने पर आपत्ति है। सीट बंटवारे के तहत लोजपा को दस, हम को एक और आरएलएम को दो ऐसी सीटें देने की बात है, जिन पर बीते चुनाव में जदयू चुनाव लड़ी थी। जदयू कदवा, सिमरी बख्यितारपुर, बरारी, साहेबपुर कमाल जैसी कुछ सीटों पर दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है जबकि लोजपा भी इन सीटों पर अपनी दावेदारी से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं दिख रही।
सीटें चिह्नित करने में फंसे पेंच के कारण सोमवार को पहले से तय राजग की संयुक्त प्रेस वार्ता टालनी पड़ी। सहयोगियों ने पहले संख्या और अब सीटें चिह्नित करने पर मोर्चा खोल रखा है। पटना में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा से बात करके सहमति बनाने के प्रयास में जुटे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जदयू से बातचीत के बाद पार्टी को फिर से तीन अन्य सहयोगियों से विमर्श करना होगा।
मनमाफिक क्षेत्र न लेने पर मनाना आसान नहीं
भाजपा बड़ी मुश्किल से जदयू के इतर तीन सहयोगियों को सीट संख्या के फॉर्मूले पर मना पाई है। इसे लेकर आरएलएम नेता उपेंद्र कुशवाहा और हम नेता जीतन राम मांझी लगातार निराशा जाहिर कर रहे हैं। पार्टी के एक रणनीतिकार ने कहा कि पहले ही इन्हें उम्मीदों से कम सीटें मिली हैं। ऐसे में इन्हें अब मनमाफिक चिह्नित सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के लिए मनाना आसान नहीं है।
खुलकर निराशा जता रहे कुशवाहा और मांझी
उपेंद्र कुशवाहा ने तो कम सीटें हासिल होने को लेकर एक सोशल मीडिया में कार्यकर्ताओं से माफी तक मांगी है। यही नहीं, शायराना अंदाज में निराशा जाहिर करते हुए लिखा कि आज बादलों ने फिर साजिश की, जहां मेरा घर था वहीं बारिश की। वहीं, मांझी ने कहा कि उम्मीदों से कम सीट मिलने के कारण कार्यकर्ताओं में निराशा और गुस्सा है। इसका नुकसान राजग को हो सकता है।
लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं कुछ जदयू प्रत्याशी
राजग विवाद निपटारे की कोशिशों में जुटा है। इसके लिए जदयू के कुछ उम्मीदवारों को लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का मौका देने का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। बीते चुनाव में भाजपा ने अपने हिस्से की सीटें वीआईपी को दी थी। बदले में कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
