Sunday, December 21, 2025
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Bihar: कोहरे में डूबी काबर झील, नावों पर सैलानियों की रौनक, बिहार की ‘डल झील’ बन रही पर्यटन का नया हॉटस्पॉट

बिहार का डल झील कहा जाने वाला काबर झील पक्षी विहार इन दिनों पर्यटकों की भारी भीड़ से गुलजार है। रोजाना करीब चार से पांच हजार पर्यटक झील का दीदार करने पहुंच रहे हैं। आकर्षक ढंग से सजी नावों पर पर्यटक झील में नौका विहार का भरपूर आनंद ले रहे हैं। मौजूदा मौसम में दोपहर तक झील और उसके आसपास कोहरा छाया रहता है, लेकिन कोहरा छंटने के बाद हल्की धूप काबर झील के बीच प्राकृतिक छटा का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है।

अमर उजाला संवाददाता ने काबर झील पहुंचकर पर्यटकों के बीच झील और नावों के नजारों का ग्राउंड अवलोकन किया। इस दौरान बेगूसराय, समस्तीपुर, खगड़िया सहित बिहार के कई जिलों से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे हुए थे। वहीं नेपाल से भी पर्यटक काबर झील देखने आए हैं। नेपाल से पहुंचे एक पर्यटक ने बताया कि इंटरनेट पर वायरल वीडियो देखकर वे अपने परिवार के साथ काबर झील का दीदार करने पहुंचे हैं।

माता जयमंगला मंदिर निर्माण से बढ़े धार्मिक पर्यटन के अवसर

दरअसल, इस वर्ष काबर झील में पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण माता जयमंगला के नए भव्य मंदिर का निर्माण बताया जा रहा है। मंदिर निर्माण के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं, जिससे झील की ओर भी पर्यटकों की आवाजाही बढ़ गई है। धार्मिक पर्यटन के बढ़ते अवसर को देखते हुए नाविकों ने अपनी नावों की साज-सज्जा भी खास ढंग से की है, जिससे झील में अलौकिक छटा बिखर रही है। जानकारी के अनुसार, रोजाना करीब चार से पांच हजार पर्यटक झील पहुंच रहे हैं और नौका विहार के लिए करीब सवा सौ नावें उपलब्ध हैं।

काबर झील में मेहमान पक्षी नहीं आने से पर्यटकों में मायूसी

हालांकि इस वर्ष काबर झील में देशी और विदेशी मेहमान पक्षी न के बराबर पहुंचे हैं, जिससे दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। नेपाल के झापा जिले से आए विजय ठाकुर ने दैनिक भास्कर को बताया कि इंटरनेट पर झील के वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं, इन्हीं को देखकर वे नेपाल से बिहार पहुंचे थे, लेकिन विदेशी पक्षियों को न देखकर निराशा हाथ लगी।

वहीं स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि काबर झील पक्षी विहार में अवैध शिकार और मछली पकड़ने की गतिविधियों के कारण पक्षियों का आना काफी कम हो गया है।

पर्यटन उद्योग ले रहा नया रूप

काबर झील करीब 45 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है, हालांकि नौका विहार सीमित दायरे में ही कराया जाता है। वन विभाग द्वारा खानापूर्ति के तौर पर बनाए गए वॉच टावर को भी प्रभावी नहीं बताया जा रहा है। करीब चार दशक से यहां पर्यटन उद्योग के विकास की बातें होती रही हैं, लेकिन हाल के समय में जयमंगला माता के मंदिर निर्माण के बाद धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ काबर झील एक उभरते पर्यटन उद्योग के रूप में सामने आ रही है।

ऐसे पहुंचें काबर झील नौका विहार करने

काबर झील पहुंचने के लिए बेगूसराय से मंझौल तक सार्वजनिक परिवहन की सुविधा उपलब्ध है। मंझौल से ई-रिक्शा के जरिए जयमंगला माता मंदिर पहुंचा जा सकता है, जहां से झील पास ही स्थित है।

बेगूसराय के मंझौल क्षेत्र में स्थित रामसर साइट काबर झील पक्षी विहार में रोजाना हजारों पर्यटक पहुंच रहे हैं। यह एशिया की मीठे पानी की सबसे बड़ी गोखुर झील मानी जाती है। माता जयमंगला मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद, विशेषकर दुर्गा पूजा के बाद से काबर झील में पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष की तुलना में यहां करीब चार गुना अधिक पर्यटक पहुंच रहे हैं।

काबर झील पक्षी विहार को करीब चार दशक पहले अभ्यारण घोषित किया गया था और यह एक महत्वपूर्ण रामसर साइट है। नाव घाट पर पर्यटक नौका विहार करते नजर आते हैं। नेपाल तक से पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। नाविक एक चक्कर के करीब 200 रुपये लेते हैं और लगभग दो किलोमीटर तक झील में नौका विहार कराते हैं। फिलहाल झील में करीब 50 से 100 नावें संचालित हो रही हैं। भीषण ठंड के बावजूद काबर झील की खूबसूरती दूर-दराज के लोगों को आकर्षित कर रही है और इंटरनेट पर इसके वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं।

(इनपुट- घनश्याम देव, बेगूसराय)

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