बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। शुक्रवार को जदयू को एक और बड़ा झटका लगा, जब बांका से पार्टी के सांसद गिरधारी यादव के छोटे बेटे चाणक्य प्रकाश रंजन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्होंने तेजस्वी यादव से मुलाकात कर औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। सूत्रों के मुताबिक, चाणक्य प्रकाश रंजन को राजद से बेलहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की पूरी संभावना है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि उनका टिकट लगभग पक्का माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो बेलहर विधानसभा सीट पर मुकाबला बेहद रोमांचक और कांटे का होगा।
गिरधारी बोले– मैं नीतीश कुमार के साथ, बेटा स्वतंत्र है
इस राजनीतिक घटनाक्रम पर सांसद गिरधारी यादव ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के साथ हूं, बेटा स्वतंत्र है, उसका अपना निर्णय है। गिरधारी यादव ने यह भी जोड़ा कि वह हमेशा संगठन की नीति और विचारधारा के साथ खड़े हैं। बेटे के इस कदम से जिले में नया राजनीतिक समीकरण उभर आया है। जहां पिता सत्ताधारी दल जदयू में सक्रिय हैं, वहीं बेटा अब विपक्षी दल राजद की तरफ से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।
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बेलहर में होगी हाईवोल्टेज टक्कर
बेलहर विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक मनोज यादव (जदयू) के सामने अब चाणक्य प्रकाश रंजन (राजद) उतर सकते हैं। इस बार यह सीट जिले की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिता और पुत्र की अलग राहें न सिर्फ बेलहर बल्कि पूरे बांका जिले की राजनीति का समीकरण बदल सकती हैं।
बेलहर क्षेत्र में पहले से ही जातीय और राजनीतिक रूप से जटिल समीकरण रहे हैं। ऐसे में राजद का नया युवा चेहरा, गिरधारी यादव जैसा राजनीतिक वजनदार परिवार और नीतीश-तेजस्वी की प्रतिद्वंद्विता इन सबने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
लंदन से पढ़ाई कर लौटे चाणक्य, अब बिहार की राजनीति में नई एंट्री
27 वर्षीय चाणक्य प्रकाश रंजन की पढ़ाई लंदन में हुई है। आधुनिक शिक्षा और नई सोच के साथ अचानक बिहार की राजनीति में उतरने वाले चाणक्य को राजद में नए दौर का युवा चेहरामाना जा रहा है। बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से तेजस्वी यादव के संपर्क में थे और हाल के दिनों में उनकी सक्रिय राजनीतिक एंट्री की तैयारियां तेज़ हो गई थीं।
चाणक्य के समर्थक मानते हैं कि बेलहर में वे “नई सोच और नए नेतृत्व” की राजनीति लाना चाहते हैं। वहीं जदयू कार्यकर्ताओं का कहना है कि “अनुभव की राजनीति और संगठन की जड़ें” अभी भी उनके पक्ष में हैं।
राजनीति में पिता-पुत्र की अलग राहें बनीं चर्चा का विषय
बिहार की राजनीति में यह पहली बार नहीं है जब एक ही परिवार के सदस्य दो अलग दलों में हों, लेकिन *बांका* जैसे अपेक्षाकृत शांत राजनीतिक ज़िले में यह एक बड़ा और चौंकाने वाला घटनाक्रम माना जा रहा है। लोग अब मजाकिया अंदाज में कह रहे हैं पिता के हाथ में तीर और बेटे के हाथ में लालटेन, मैदान एक पर विचार अलग!राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि यदि बेलहर से चाणक्य प्रकाश रंजन को टिकट मिल जाता है, तो यह सीट इस बार युवा बनाम अनुभव की सीधी लड़ाई का केंद्र बनेगी।
