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Bihar News: रोहतास के दर्जनों गांव में छह वर्षों से नल-जल योजना ठप, ग्रामीण दूषित पानी पीने को मजबूर

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Bihar News: रोहतास के दर्जनों गांव में छह वर्षों से नल-जल योजना ठप, ग्रामीण दूषित पानी पीने को मजबूर

बिहार में विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं की सफलता के तमाम दावों के बीच रोहतास जिले के कई पहाड़ी गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। पेयजल, सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतें यहां दशकों से अधूरी हैं। सासाराम मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर और मैदानी क्षेत्र से 2000 फीट ऊपर बसे इन गांवों में न तो अधिकारी पहुंचते हैं और न ही जनप्रतिनिधियों की कोई दिलचस्पी दिखती है। विकास योजनाएं केवल फाइलों तक सीमित हैं और ग्रामीण सदियों पुराने साधनों से जीवन गुजारने को मजबूर हैं।

छह वर्षों से नल-जल योजना बंद

बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना रोहतास के कई गांवों में पिछले छह वर्षों से ठप है। गांवों में पानी की टंकी और सोलर प्लेटें तो लगाई गईं, लेकिन कभी पानी सप्लाई शुरू ही नहीं हुई। ब्रह्मदेवता गांव की फूलमती देवी बताती हैं कि “टंकी सिर्फ देखने के लिए लगी है, छह साल से हम कुएं से पानी ला रहे हैं। वहीं मंजू देवी कहती हैं कि भोजन बनाने और पीने के लिए रोजाना एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं से पानी लाना पड़ता है। बभनतलाव गांव के सिकंदर राम ने बताया कि टंकी लगने के बाद से आज तक एक बूंद पानी किसी नल से नहीं गिरा।

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पानी के लिए महिलाएं और बच्चे करते हैं मीलों पैदल सफर

इन इलाकों में पानी की सबसे बड़ी मार महिलाओं और बच्चों को झेलनी पड़ती है। प्रतिदिन 5–6 बार पानी भरने के लिए उन्हें दूर स्थित कुएं तक जाना पड़ता है। रोहतासगढ़ पंचायत की वीणा कुंवर बताती हैं कि गर्मियों में कुएं का पानी सूख जाने पर उन्हें कुएं के पास रातभर इंतजार करना पड़ता है ताकि सुबह पानी मिल सके।

दूषित पानी पीने को मजबूर; हैंडपंप भी वर्षों से खराब

बुधुआ, धंसा, बलवाही, चाकडीह, कोडीयारी, हरैया, बभनतलाव, ब्रह्मदेवता, नागाटोली, बाघाटोली, रानडीह समेत पहाड़ी गांवों में नल-जल योजना पूरी तरह विफल है। ग्रामीण कुएं और तालाब के दूषित पानी पर निर्भर हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गांवों में लगे अधिकांश हैंडपंप भी खराब पड़े हैं और पीएचईडी विभाग द्वारा उनकी मरम्मत नहीं कराई गई है।

छह वर्षों से बंद योजना से अधिकारी अनजान

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छह साल से बंद पड़ी इस योजना की जानकारी विभाग को नहीं है। जब इस मुद्दे पर पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अमित कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नल-जल योजना बंद होने की कोई जानकारी विभाग को नहीं है। उन्होंने विभागीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में सोलर प्लेट से संचालित सिस्टम में धूप कम होने पर पानी मोटर के पास ही गिरता है, नलों तक नहीं पहुंच पाता।अभियंता ने आश्वासन दिया कि शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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