बिहार में शिक्षा विभाग में ट्रान्सफर और पोस्टिंग अब एक खेल बनकर रह गया है . आये दिन पटना से मनमाने तरीके से विभाग शिक्षकों का ट्रांसफर कर रहा है. अपने हीं बनाए नियमों की अनदेखी करने की होड़ विभाग के अधिकारियों के बीच लगी हुई है.
जो शिक्षक विभाग के भरोसे ट्रान्सफर के इंतज़ार में बैठे हुए हैं उनका इंतज़ार ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है जबकि पैसा और पैरवी के दम पर सभी नियमों को ताक पर रख कर पटना से हीं ट्रांसफर का लिस्ट निकाल दिया जाता है.
पहले विभाग द्वारा यह स्पष्ट कह दिया गया था कि जिला के अन्दर पदस्थापित शिक्षकों के स्थानान्तरण पर फैसला जिला स्थापना समिति द्वारा लिया जाएगा जबकि अंतरजिला शिक्षकों से दुबारा जिला का विकल्प माँगा गया और अधिकाँश शिक्षकों को जिला आवंटित भी किया गया लेकिन उन्हें स्कूल का आवंटन अब तक नहीं किया गया है.
जिले के अन्दर ट्रांसफर की चाह रखने वाले शिक्षकों की तो बात हीं क्या कहें, महिला होने और मुख्यालय से सबसे ज्यादा दूरी पर पदस्थापित रहने के बावजूद उनका ट्रांसफर आज तक नहीं हो पाया जबकि दूरी को आधार बनाकर उससे कम दूरी वाले शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया गया.

अब रविवार की तारीख में निकले इस पत्र को हीं देखिये जिसमे चुनिन्दा शिक्षक और शिक्षिकाओं के ट्रान्सफर का आदेश पारित कर दिया गया. ऐसे आदेश स्वं में शिक्षा विभाग पटना की कार्यशैली और पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं.