Ambedkar jayanti 2022 in hindi-:131वें जयंती पर भारत रत्न बाबा साहब डॉ॰ भीम राव आंबेडकर को श्रद्धा सुमन

Ambedkar jayanti 2022 in hindi – भारत रत्न बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में भारत सहित विश्व के कई देशों में बहुत हीं धूम-धाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। भरत मे तो आंबेडकर जयंती (Ambedkar jayanti 2022) राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी भारत सरकार ने आंबेडकर जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की है, जिसका नोटिफिकेसन 1 अप्रैल को ही जारी कर दिया गया है। 2015 से हीं अंबेडकर जयंती पर पब्लिक होलिडे या सरकारी छुट्टी की परंपरा चली आ रही है।

भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर का पूरा जीवन समानता के अधिकार के लिए संघर्ष में बीता इसलिए आंबेडकर जयंती को भारत में समानता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आंबेडकर जयंती (Ambedkar jayanti 2022 in hindi ) या भीम जयंती के उपलक्ष्य में 14 अप्रैल को प्रत्येक वर्ष मुंबई के चैत्य भूमि (बाबा साहब का समाधि स्थल) और नागपुर के दीक्षा भूमि मे बाबा साहेब के अनुयायियों द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ हीं सभी मुख्य राजनीतिक दलों के नेता संसद भवन मे बनी बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हे अपनी ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

इस साल 14 अप्रैल 2022 को बाबा साहेब की यह 131वीं जयंती (Ambedkar jayanti 2022 in hindi) मनाई जाएगी। भारत रत्न भीम राव अंबेडकर की पहली जयंती सार्वजनिक तौर पर 14 अप्रैल 1928 को पुणे में उनके एक अनुयायी जनार्दन सदाशिव रानापसे द्वारा मनाया गया था, और ऐसा माना जाता है की तभी से 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती मनाने का सिलसिला चला आ रहा है ।  वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण  पहली बार ऐसा हुआ कि अंबेडकर जयंती ऑनलाइन मनाया गया। 

 

बाबासाहेब आंबेडकर के विषय में कुछ रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियां

भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू नगर सैनिक छावनी  में हुआ था जो वर्तमान में मध्यप्रदेश में आता है । बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। वे अपनी माँ बाप के चौदहवें और अंतिम संतान थे।

बाबा साहब आंबेडकर मूल रूप से कहाँ के निवासी थे ?

बाब असाहब अंबेडकर मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के आबंडवे गाँव के निवासी थे। आबंडवे महाराष्ट्र के रत्नागिरी के मंडणगड तहशील का एक छोटा सा गाँव है। बाबा साहेब के पूर्वज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी कि सेना में लंबे समय से अपनी सेवाएँ देते रहे थे।

उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे।

बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के बचपन का क्या नाम था ?

बाबा साहेब के बचपन का नाम भिवा रामजी आबंडवेकर था जो स्कूल मे दर्ज करवाया गया था, जबकि उनके माता पिता उन्हे प्यार से भिवा कहकर बुलाते थे। कुछ लोगों कि यह भी जिज्ञासा रहती है कि बाबा साहेब का नाम भीम राव आंबेडकर कैसे पड़ गया जबकि उनके पिता ने तो उनके नाम के अंत में अपने गाँव का नाम आबंडवेकर लगाया था ?

ऐसी कहा जाता है कि एक ब्राह्मण शिक्षक कृष्ण महादेव आंबेडकर जिन्हे बाबा साहेब कि प्रतिभा के कारण उनसे विशेष स्नेह हो गया था उनहोंने ही उनके नाम में आबंडवेकर हटाकर अपना उपनाम अंबेडकर जोड़ दिया था।

बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर कि पहली पत्नी का क्या नाम था ?

बाबा साहेब कि पहली पत्नी का नाम रमा बाई था। अप्रैल 1906 मे बाबा साहेब कि शादी कर दी गई थी । अपनी शादी के समय बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, उनकी उम्र कि उस समय 15 वर्ष थी जबकि उनकी पत्नी कि आयु उस समय 9 वर्ष थी।

बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर कि दूसरी पत्नी का क्या नाम था ।

बाबा साहेब कि पहली पत्नी का निधन 1935 में हो जाने के बाद 15 अप्रैल 1948 को उनहोंने तब के बॉम्बे और आज कि मुंबई कि रहने वाली डॉक्टर सविता कबीर से दूसरी शादी नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर किया था । डॉक्टर सविता आंबेडकर को लोग माई या माईसाहब के उपनाम से भी बुलाते थे ।

भारत रत्न भीम राव आंबेडकर ने हिन्दू धर्म को कब छोड़ा ?

13 अक्टूबर 1935 को महाराष्ट्र मे नासिक के निकट येवला मे एक जनसभा को संबोधित करते हुए उनहोंने हिन्दू धर्म छोड़ने का ऐलान किया।

इस मौके पर उनहोंने कहा

“हालांकि मैं एक अछूत हिन्दू के रूप में पैदा हुआ हूँ ,
लेकिन मैं एक हिन्दू के रूप में कभी नहीं मरूँगा।“

बाबा साहब भीम राव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म कब अपनाया?

 हिन्दू धर्म छोड़ने कि घोषणा के लगभग 21 साल बाद 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में बाबा साहब ने अपनी दूसरी पत्नी डॉक्टर सविता और अपने कुछ अनुयायियों के साथ पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया।

बौद्ध धर्म के संबंध में अपनी एक पुस्तक  ‘द बुद्ध एंड हिज धम्म’ में उन्होने लिखा था कि

“मैं बुद्ध के धम्म को सबसे अच्छा मानता हूँ। इससे किसी धर्म की तूलना नहीं की जा सकती है। यदि एक आधुनिक ब्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल बौद्ध धर्म ही हो सकता है। सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के 25 वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है।“  

भारतीय रीजर्व बैंक की स्थापना में भारत रत्न बाबा साहब भीम राव आंबेडकर का क्या योगदान था ?

भारतीय रीजर्व बैंक की स्थापना 9 अप्रैल 1935 को की गई थी। रीजर्व बैंक की स्थापना में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान था । उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘दी प्राबलम ऑफ दी रूपी – इट्स ओरिजन एंड इट्स सोल्युशन’ से रीजर्व बैंक की स्थापना के लिए दिशा निर्देश और रीजर्व बैंक की क्या कार्यशैली होगी यह उसी पुस्तक में बाबा साहब द्वारा लिखे गए सिद्धांतों के आधार पर तय किया गया ।

बाबा साहब भीम राव आंबेडकर का निधन कब हुआ?

लगभग 64 वर्ष 9 महीने की उम्र में 6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहब आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिल्ली में उनके निवास स्थान पर हुआ। इससे पहले वे लंबे समय से मधुमेह की बीमारी से ग्रस्त थे।

7 दिसंबर को मुंबई के दादर चौपाटी पर बौद्ध रीति रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के समय उनके लाखों अनुयायियों ने बाबा साहब के पार्थिव शरीर को साक्षी मानकर बौद्ध धर्म अपना लिया था।

डॉक्टर भीम राव आंबेडकर के कोट्स हिन्दी में

“रात रात भर इसलिए जागता हूँ, क्योकि मेरा समाज सो रहा है।“
डॉ भीम राव आंबेडकर

जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती , वह कौम कभी भी इतिहास नहीं बना सकती।  
डॉ भीम राव आंबेडकर



“एक महान ब्यक्ति एक प्रख्यात ब्यक्ति से एक हीं बिन्दु पर भिन्न है कि महान ब्यक्ति समाज का सेवक बनने के लिए तत्पर रहता है।“

डॉ भीम राव आंबेडकर

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